केंद्रीय हिंदी संस्थान में फर्जी मार्कशीट के बाद अब विदेशी छात्रों की छात्रवृत्ति में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। मंगलवार को संस्थान पहुंचे केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. रामशंकर कठेरिया ने पड़ताल की तो इसका खुलासा हुआ। उन्होंने अधिकारियों को मामले की जांच करने और दोषियों से छात्रवृत्ति की रिकवरी कर मामला दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
बता दें, अमर उजाला ने 24 दिसंबर के अंक में ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान में 132 फर्जी मार्कशीट’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मामले की जानकारी के लिए मंगलवार को केंद्रीय राज्यमंत्री डा. कठेरिया संस्थान पहुंचे। उन्होंने प्रशासनिक विभाग, लेखा विभाग, लाइब्रेरी, परीक्षा विभाग आदि का निरीक्षण किया। उन्होंने कंप्यूटर प्रयोगशाला में मार्कशीट की प्रिटिंग तत्काल बंद करने और फर्जी मार्कशीट मामले में एफआईआर कराने के निर्देश दिए।
पड़ताल के दौरान मंत्री के हाथ छात्रवृत्ति का रजिस्टर लग गया। पता चला कि संस्थान में 68 विदेशी और 200 भारतीय विद्यार्थी हैं। प्रत्येक विदेशी विद्यार्थी को हर महीने 3500 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है, जबकि भारतीय विद्यार्थी को 2500 रुपये। यह छात्रवृत्ति भी ज्यादातर को नकद ही दी जा रही है। जबकि संस्थान परिसर में बैंक भी है। विदेशी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति से मैस के नाम पर हर माह दो हजार रुपये काटे जाते हैं। एक माह में यह राशि एक लाख 36 हजार होती है। वहीं भारतीय छात्र चंदा कर ठीक इससे आधी धनरिाश में एक हलवाई से खाना बनवाकर खाते हैं।
विदेशी छात्रों के कई हफ्ते छुट्टी पर जाने के दौरान भी उनकी छात्रवृत्ति से मैस के नाम पर कटौती होती है। हैरत की बात है कि संस्थान किसी मैस का संचालन ही नहीं कर रहा। संस्थान ने तीन रसोइयों को अनुबंध पर नियुक्त किया हुआ है। इन्हें दस हजार रुपये महीने वेतन दिया जा रहा है। खाने के लिए हर महीने मोटी रकम देने के बावजूद विदेशी विद्यार्थी खुद ही राशन जुटाते हैं। कई बार विदेशी छात्राओं को सिकंदरा मंडी में सब्जी खरीदते देखा गया है। यह बात मंत्री के सामने निदेशक प्रो. मोहन ने भी स्वीकार की है।
कठेरिया ने कहा कि भारतीय विद्यार्थियों से यह कटौती इसलिए नहीं की जाती, क्योंकि वह विरोध कर सकते हैं और संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल सकते हैं। उन्होंने विदेशी छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल खडे़ किए। उन्होंने कहा कि नियमानुसार संस्थान किसी भी छात्र की छात्रवृत्ति से कटौती नहीं कर सकता। अधिकारी जल्द सभी विद्यार्थियों के खाते बैंक में खुलवाएं और छात्रवृत्ति उसी में जमा कराएं।
300 स्टूडेंट पर 100 का स्टाफ
मंत्री कठेरिया को बताया गया कि 300 स्टूडेंट्स पर संस्थान में शिक्षकों और कर्मचारियों की फौज है। अस्थाई, स्थाई शिक्षकाें, कर्मचारियों की कुल संख्या 100 के करीब है। केंद्रीय मंत्री ने जब शिक्षकों की उपस्थिति जांची तो आधे ही शिक्षक मौजूद मिले। ज्यादातर छुट्टी पर थे। उन्होंने अनुबंधित शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियुक्त करने को भी कहा।
मेंटेनेंस को मिले चार करोड़, फिर भी हालत खस्ता
केंद्रीय हिंदी संस्थान भवन के मेंटेनेंस के लिए चार करोड़ रुपये सरकार ने दिए हैं। बावजूद इसके हालत खस्ता है। मंत्री कठेरिया ने संस्थान की अंदरूनी हालत सुधारने के निर्देश दिए।
स्रोत - अमर उजाला (31/12/2014)
http://bit.ly/1hquc4h
बता दें, अमर उजाला ने 24 दिसंबर के अंक में ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान में 132 फर्जी मार्कशीट’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मामले की जानकारी के लिए मंगलवार को केंद्रीय राज्यमंत्री डा. कठेरिया संस्थान पहुंचे। उन्होंने प्रशासनिक विभाग, लेखा विभाग, लाइब्रेरी, परीक्षा विभाग आदि का निरीक्षण किया। उन्होंने कंप्यूटर प्रयोगशाला में मार्कशीट की प्रिटिंग तत्काल बंद करने और फर्जी मार्कशीट मामले में एफआईआर कराने के निर्देश दिए।
पड़ताल के दौरान मंत्री के हाथ छात्रवृत्ति का रजिस्टर लग गया। पता चला कि संस्थान में 68 विदेशी और 200 भारतीय विद्यार्थी हैं। प्रत्येक विदेशी विद्यार्थी को हर महीने 3500 रुपये की छात्रवृत्ति मिलती है, जबकि भारतीय विद्यार्थी को 2500 रुपये। यह छात्रवृत्ति भी ज्यादातर को नकद ही दी जा रही है। जबकि संस्थान परिसर में बैंक भी है। विदेशी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति से मैस के नाम पर हर माह दो हजार रुपये काटे जाते हैं। एक माह में यह राशि एक लाख 36 हजार होती है। वहीं भारतीय छात्र चंदा कर ठीक इससे आधी धनरिाश में एक हलवाई से खाना बनवाकर खाते हैं।
विदेशी छात्रों के कई हफ्ते छुट्टी पर जाने के दौरान भी उनकी छात्रवृत्ति से मैस के नाम पर कटौती होती है। हैरत की बात है कि संस्थान किसी मैस का संचालन ही नहीं कर रहा। संस्थान ने तीन रसोइयों को अनुबंध पर नियुक्त किया हुआ है। इन्हें दस हजार रुपये महीने वेतन दिया जा रहा है। खाने के लिए हर महीने मोटी रकम देने के बावजूद विदेशी विद्यार्थी खुद ही राशन जुटाते हैं। कई बार विदेशी छात्राओं को सिकंदरा मंडी में सब्जी खरीदते देखा गया है। यह बात मंत्री के सामने निदेशक प्रो. मोहन ने भी स्वीकार की है।
कठेरिया ने कहा कि भारतीय विद्यार्थियों से यह कटौती इसलिए नहीं की जाती, क्योंकि वह विरोध कर सकते हैं और संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल सकते हैं। उन्होंने विदेशी छात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल खडे़ किए। उन्होंने कहा कि नियमानुसार संस्थान किसी भी छात्र की छात्रवृत्ति से कटौती नहीं कर सकता। अधिकारी जल्द सभी विद्यार्थियों के खाते बैंक में खुलवाएं और छात्रवृत्ति उसी में जमा कराएं।
300 स्टूडेंट पर 100 का स्टाफ
मंत्री कठेरिया को बताया गया कि 300 स्टूडेंट्स पर संस्थान में शिक्षकों और कर्मचारियों की फौज है। अस्थाई, स्थाई शिक्षकाें, कर्मचारियों की कुल संख्या 100 के करीब है। केंद्रीय मंत्री ने जब शिक्षकों की उपस्थिति जांची तो आधे ही शिक्षक मौजूद मिले। ज्यादातर छुट्टी पर थे। उन्होंने अनुबंधित शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियुक्त करने को भी कहा।
मेंटेनेंस को मिले चार करोड़, फिर भी हालत खस्ता
केंद्रीय हिंदी संस्थान भवन के मेंटेनेंस के लिए चार करोड़ रुपये सरकार ने दिए हैं। बावजूद इसके हालत खस्ता है। मंत्री कठेरिया ने संस्थान की अंदरूनी हालत सुधारने के निर्देश दिए।
स्रोत - अमर उजाला (31/12/2014)
http://bit.ly/1hquc4h