Wednesday, December 24, 2014

केंद्रीय हिंदी संस्थान में 132 फर्जी मार्कशीट

डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की तरह ही केंद्रीय हिंदी संस्थान की भी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने का रैकेट संचालित है। साल 2003 से 2012 तक के ऐसे 132 मामलों का रिकॉर्ड अमर उजाला के पास है, जिनके भौतिक सत्यापन में संस्थान की मार्कशीट और डिग्री फर्जी पाई गई हैं। नौकरी मिलने के बाद संबंधित विभागों ने डिग्रियों को संस्थान को भौतिक सत्यापन के लिए भेजा था।

फर्जी पाई गईं मार्कशीट हु-बहू असली जैसी हैं। बिना अंकों के भौतिक सत्यापन के इन्हें पकड़ पाना मुमकिन नहीं। प्रत्येक मार्कशीट पर परीक्षा नियंत्रक के नकली हस्ताक्षर हैं और संस्थान की मोहर भी है। इतना ही नहीं पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के नकली हस्ताक्षर से भी कई डिग्रियां जारी की गई हैं। 
बताया जाता है कि इस तरह के अभी तक सामने आए मामलों की संख्या एक हजार से ऊपर है। संस्थान के एक अधिकारी ने इस मामले की शिकायत मानव संसाधन विकास मंत्रालय से की है। मंत्रालय ने इस संबंध में संस्थान के निदेशक से जांच करने को भी कहा है। 

ऐसा नहीं है कि संस्थान की फर्जी डिग्री और मार्कशीट पकडे़ जाने का खुलासा पहली बार हुआ है। पिछले साल नवंबर में हैदराबाद पुलिस में अदीलाबाद के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर ने तीन शिक्षकों पर मामला दर्ज कराकर कहा था कि शिक्षकों ने केंद्रीय हिंदी संस्थान की फर्जी डिग्री और मार्कशीट के आधार पर प्रमोशन पाया है। इस मामले में पुलिस ने संस्थान के निदेशक को चिट्ठी लिखकर ऐसे मामलाें की जानकारी मांगी थी।

मालूम हो कि संस्थान के देशभर में दिल्ली, हैदराबाद, गुवाहाटी, शिलांग, मैसूर समेत छह केंद्र हैं। आगरा मुख्यालय है। यहीं सभी केंद्रों की परीक्षाओं का संचालन किया जाता है। प्रश्न पत्र से लेकर मार्कशीट और डिग्री प्रिंट करने का जिम्मा मुख्यालय पर ही है। केंद्रीय हिंदी संस्थान की अभी तक हिंदी शिक्षण में अलग पहचान है। संस्थान उच्चकोटि के शोध कार्यों को पुस्तक के रूप में प्रकाशित भी करता है। संस्थान में डिजिटल भाषा प्रयोगशाला, कंप्यूटर प्रयोगशाला एवं दृश्य श्रव्य माध्यमों द्वारा विदेशी भाषा के रूप में हिंदी सिखाने के लिए कई पाठ्यक्रमों का विकास किया है। यहां से अर्मेनिया, अफगानिस्तान, बुल्गारिया, बेलारूस, चेक रिपब्लिक, फिजी, गयाना, जार्जिया, हंगरी, इटली, इंडोनेशिया, जापान, लिथुआनिया, मॉरीशस, मंगोलिया, रूस, श्रीलंका, थाईलैंड, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, वियतनाम, आस्ट्रिया, रोमानिया, सूरीनाम, चीन आदि देशों से छात्र यहां हिंदी सीखने आते हैं।
स्रोत - अमर उजाला (24/12/2014)
http://bit.ly/1T6z6Ez

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