Tuesday, March 10, 2015

आगरा में उड़ीसा की छात्रा से अश्लील हरकत, चपरासी गिरफ्तार

केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की एक छात्रा से अश्लील हरकत कर उसे परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। आगरा। केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की एक छात्रा से अश्लील हरकत कर उसे परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। आरोपी सौरभ राज संस्थान में ही कॉन्ट्रेक्ट पर चपरासी है। कुलसचिव डा. चंद्रकांत त्रिपाठी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को नौकरी से बर्खास्त कर पुलिस के हवाले कर दिया है। केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की छात्रा सीमा (काल्पिनिक नाम) प्रवीण की पढ़ाई कर रही है। वह कैंपस में ही बने हॉस्टल में रहती है। वहीं कार्यरत चपरासी सौरभ राज पिछले आठ माह से सीमा से मोबाइल फोन पर अश्लील बातें कर उसे परेशान कर रहा था। शिकायत करने पर फेल कराने की धमकी देता था। मना करने पर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। अंतत: सीमा ने यह बात अपनी सहेलियों को बताई। हिम्मत कर सभी छात्राओं ने उसे सबक सिखाने की ठान ली। इसके बाद उसकी अश्लील बातों की आठ मिनट की रिकार्डिंग कर ली गई। सोमवार शाम को सभी छात्राओं ने इस सबूत को लेकर कुलसचिव के पास शिकायत की। छात्राएं इतने गुस्से में थीं कि सभी एकजुट होकर तहरीर देने के लिए न्यू आगरा थाने में पहुंच गईं। पुलिस ने मंगलवार सुबह आरोपी चपरासी को गिरप्तार कर लिया। उसके खिलाफ अपराध क्रमांक 228/15 धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उधर, हिंदी संस्थान के कुलसचिव डा. चंद्रकांत त्रिपाठी ने कहा कि यह शर्मसार करनेवाली घटना है। इस मामले में दोषी चपरासी सौरभ राज को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही उसके कैंपस में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने छात्राओं से ऐसे मामलों में निर्भीक होकर तत्काल शिकायत करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय हिंदी संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर का शिक्षण संस्थान है, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत है। इसमें गैर हिंदी प्रदेशों के अलावा विदेशों से भी छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने के लिए आते हैं। इस तरह की घटनाओं से संस्थान की छवि को गहरा धक्का लग सकता है।

स्रोत - पत्रिका (10/03/2015)
http://bit.ly/1PdCyYp

केंद्रीय हिंदी संस्थान से मंत्रालय नाराज़


जागरण संवाददाता,आगरा: लगातार लापरवाही से नाराज मंत्रालय ने इस बार केंद्रीय हिंदी संस्थान को तगड़ा झटका दे दिया। मरम्मत के लिए भेजे गए 5.30 करोड़ के प्रस्ताव में कटौती करते हुए सिर्फ तीस लाख मंजूर किए हैं। संस्थान द्वारा चार साल से पैसा दिए जाने के बावजूद मरम्मत कार्य न कराए जाने के कारण यह कदम उठाया है।
संस्थान द्वारा कई साल से करोड़ों रुपये का बजट मंत्रालय से प्रोजेक्ट के नाम पर मांगा जाता रहा है, लेकिन साल के अंत में प्रोजेक्ट पूरे न होने पर पैसा लौटा दिया जाता है। मरम्मत कार्य के साथ भी यही स्थिति है। संस्थान चार साल से दो पुरुष छात्रावास, एक महिला छात्रावास, मुख्य भवन की मरम्मत के नाम पर तीन से चार करोड़ रुपये मांग रहा है, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में हर बार यह पैसा लौटा दिया जाता है। इस बार भी रिनोवेशन के लिए 5.30 करोड़ रुपये संस्थान के लिए मंजूर हो गए थे। संस्थान विद्यार्थियों की परीक्षा के बाद निर्माण कार्य शुरू करने जा रहा था लेकिन कुछ दिन पहले मंत्रालय ने पांच करोड़ रुपये काटकर महज तीस लाख रुपये बजट पास किया है। मंत्रालय का तर्क है कि संस्थान बार-बार पैसा लेने के बावजूद प्रोजेक्ट पूरे नहीं कर रहा। मरम्मत कार्य भी नहीं करा रहा। ऐसे में बजट देने का क्या फायदा।
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यह बात सही है कि पिछले चार साल से मरम्मत कार्य के नाम पर लिया जा रहा पैसा संस्थान द्वारा लौटाया जा रहा है। इस बार मरम्मत कार्य के लिए वित्त समिति और शासी समिति की बैठक में पांच करोड़, तीस लाख रुपये के बजट को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन मंत्रालय ने केवल तीस लाख रुपये प्रदान किए हैं।
अनिल चौधरी, लेखाधिकारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान
स्रोत
http://www.jagran.com/uttar-pradesh/agra-city-12148867.html

Thursday, March 5, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान के लेखाधिकारी पर सीवीसी की जाँच

केंद्रीय हिंदी संस्थान में वित्तीय अनियमितताआें की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) करेगा। आरटीआई एक्टिविस्ट सुनीत चौहान ने प्रधानमंत्री कार्यालय और सीवीसी से शिकायत कर लेखाधिकारी और डिप्टी रजिस्ट्रार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीएमओ के निर्देश पर ही सीवीसी ने मामला पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है।


शिकायत में कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्वायत्तशासी संस्थान में उच्च अधिकारी नियमों को ताक पर रख सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेखाधिकारी को अपने गृह नगर में प्लॉट खरीदने को 20 अगस्त 2013 में भवन निर्माण मद से साढे़ सात लाख रुपये दिए गए। लेखाधिकारी पर पद पर रहते हुए उच्च श्रेणी का आवास आवंटन, लाइसेंस फीस सामान्य रूप से लेना, तीन बच्चों की ट्यूशन फीस लेना, संस्थान में नियम विरुद्घ तरीके से बच्चाें का शिक्षण शुल्क लेने जैसे आरोप हैं।
परिवार के साथ सरकारी खर्चे पर हवाई यात्राएं
डिप्टी रजिस्ट्रार अनिल चौधरी पर इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना में कनिष्ठ लेखाधिकारी रहते हुए सेवा शर्तों की अनदेखी करने और चार लाख रुपये जमा न करने और बिना अनुमति के परिवार के साथ सरकारी खर्चे पर हवाई यात्राएं करने का आरोप भी हैं।
रजिस्ट्रार पर लगे आरोपों की जांच चल रही
इससे पहले रजिस्ट्रार चंद्रकांत त्रिपाठी पर भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अवर सचिव पीपी नायर ने बीते साल जुलाई में निदेशक को जांच के आदेश दिए थे। रजिस्ट्रार पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई की एंटी करप्शन शाखा भी कर रही है।
वर्जन-
सभी आरोप गलत हैं। जांच में सब साबित हो जाएगा। पूरा मामला प्रमोशन का है। एक साथी हैं जो प्रमोशन की दौड़ में हैं, लेकिन कदाचार के आरोपों के कारण उनका प्रमोशन नहीं हो सका है। उन्होंने ही यह आरोप लगवाए हैं। ताकि मैं दौड़ से बाहर हो जाऊं और उन्हें प्रमोशन मिल जाए।
- अनिल चौधरी, डिप्टी रजिस्ट्रार, केंद्रीय हिंदी संस्थान

स्रोत - अमर उजाला (05/03/2015)
http://bit.ly/1IVEzaO