Saturday, May 9, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान में क्राइम ब्रांच का छापा, रिकार्ड जब्त

फर्जी मार्कशीट प्रकरण में उड़ीसा की क्राइम ब्रांच टीम ने शुक्रवार को केंद्रीय हिंदी संस्थान में छापा मारा। दो सदस्यीय टीम ने यहां करीब दस घंटे तक रिकार्ड खंगाले। उच्चाधिकारियों समेत कइयाें से घंटों पूछताछ की। टीम ने शैक्षणिक रिकार्ड और कंप्यूटर डेटा शीट जब्त की है। टीम के यहां दो दिन तक रहने की उम्मीद है।

अमर उजाला ने बीते साल 24 दिसंबर को केंद्रीय हिंदी संस्थान में चल रहे फर्जी मार्कशीट बनाने के गिरोह का भंड़ाफोड़ किया था। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से संस्थान में सत्यापन को आईं करीब 132 मार्कशीट फर्जी पाई गईं। पूरे खेल में आगरा के उच्चाधिकारियाें का हाथ सामने आया है। इस पर संस्थान प्रशासन ने बीती 22 जनवरी को उड़ीसा और आंध्रप्रदेश में डिग्री फर्जी होने की जानकारी दी। इसके आधार पर दो फरवरी को उच्चस्तरीय जांच बिठाई गई। इसी के तहत शुक्रवार की सुबह साढ़े नौ बजे क्राइम ब्रांच के डीएसपी रमेश चंद्र सेठी और सब इंस्पेक्टर गौरीशंकर संस्थान पहुंचे। उन्होंने कुलसचिव चंद्रकांत त्रिपाठी से मुलाकात कर जांच शुरू की। सूत्र बताते हैं कि इसमें कई गड़बड़ियां टीम को मिली हैं। शाम करीब सात बजे तक जांच चलती रही। 

- फर्जी मार्कशीट की जांच को टीम आई है। मैं फिलहाल दिल्ली मीटिंग में भाग लेने आया हूं, वहां क्या हुआ है मुझे जानकारी नहीं है। प्रो. मोहन, निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान

- फर्जी मार्कशीट की जांच के लिए टीम आई है। टीम के सदस्य दस्तावेजों की फोटोकापी कराके साथ ले गए हैं। टीम दो दिन और जांच करेगी। चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव, केंद्रीय हिंदी संस्थान 

जांच में नहीं किया सहयोग
- फर्जीवाड़े की जांच को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि टीम को जांच में सहयोग नहीं किया गया। टीम द्वारा मांगे गए कई दस्तावेज भी आधे-अधूरे उपलब्ध कराए गए। 

मीडिया को कवरेज से रोका
- मीडियाकर्मियों को कवरेज से रोका गया। इसका विरोध करने पर जांच टीम स्वयं आगे आए। डीएसपी रमेश चंद्र सेठी ने बताया कि फर्जी मार्कशीट मामले में जांच करने आए हैं। जरूरत के मुताबिक शैक्षणिक रिकार्ड मांगे जा रहे हैं। 

यह है पूरा मामला
- 2003 से 2012 तक की 132 फर्जी मार्कशीट पकड़ में आईं। संस्थान के दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, शिलांग और मैसूर केंद्र हैं। यहां से मिली डिग्री के आधार पर नौकरी मिलने के बाद संबंधित विभागों ने आगरा मुख्यालय में सत्यापन के लिए डिग्री भेजी थी। इस पर तत्कालीन मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल समेत यहां के परीक्षा नियंत्रक के जाली हस्ताक्षर और संस्थान की मुहर पाई गई। मार्कशीट हूबहू वास्तविक मार्कशीट की तरह है। संदेह है कि ऑरिजनल मार्कशीट पर नकली अंक चढ़ाकर इसे लाखाें रुपये में बेचा गया है।

स्रोत - अमर उजाला (09/05/2015)
http://bit.ly/1MZ788X

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