सहारा समय - 28/11/2013
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा (उ.प्र., भारत) का ख़बरनामा । यहाँ आप पढ़ सकते हैं हिन्दी संस्थान से जुड़ी महत्वपूर्ण और बेबाक ख़बरें।
Sunday, September 20, 2015
Monday, September 14, 2015
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंदकिशोर पांडे
जयपुर हिन्दी को संरक्षण देने के साथ ही आधुनिक भाषा के रूप में विकसित करने की जरूरत है। हिन्दी को भारतीय संस्कृति और गौरव के रूप में जन-जन से जोडऩे की जरूरत है। यह कहना है शिक्षा राज्य मंत्री
प्रोफेसर वासुदेव देवनानी का।
देवनानी सोमवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर भाषा एवं पुस्तकाल विभाग द्वारा जवाहर कला केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
देवनानी ने कहा कि चिकित्सा, विज्ञान एवं तकनीकी विषयों में अधिकाधिक हिन्दी भाषा में लेखन को बढावा देने की जरूरत है। शिक्षामंत्री ने कहा कि पचास से अधिक देशों के पांच सौ से अधिक केंद्रों पर हिंदी पढाई जाती है।
जिस भाषा ने दूसरी भाषाओं को अपनाते हुए उनका संरक्षण किया है, एेसी भाषा के विकास की जरूरत है। समारोह में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वर्ष 2015 की परीक्षामें हिन्दी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र देकर शिक्षामंत्री ने सम्मानित किया।
हिन्दी को मिले वैश्विक दर्जा
एक समय था जब हिंदी क प्यूटर की भाषा नहीं थी परन्तु आज इन्टरनेट में भी हिन्दी का बोलबाला है। बहुराष्ट्रीय क पनियां भी अपने उत्पाद भारत में बेचने के लिए हिन्दी में ही अपना प्रचार कर रही हैं। हिन्दी के विश्वव्यापी महत्व को समझते हुए इसे विश्व की पहले दर्जे की भाषा के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।
सरकारी कामकाजों में पिछड़ापन
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंदकिशोर पांडे ने कहा कि हिन्दी भाषा बोल चाल में नहीं बल्कि सरकारी कामकाजों में पिछड़ी हुई है। हिन्दी की ताकत यही है कि वह सबकी है, लेकिन बोली के रूप में किसी की नहीं है। इस अवसर पर देवर्षि कलानाथ शास्त्री ने हिन्दी के गौरव को सदा अपने साथ रखने और भाषा शुद्धि पर भी विशेष ध्यानल देने पर जोर दिया। भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की निदेशक चित्रा गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किए
स्रोत -
http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/rajasthan/hindi-need-to-develop-as-a-modern-language-1302301.html
ये विदेशी बालाएँ गर्व से हिंदी बोलती हैं
#भोपाल #मध्य प्रदेश आज अखबारों से लेकर सोशल मीडिया में हिंदी दिवस छाया हुआ है. गत दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में भी विदेशी लोगों का हिंदी प्रेम जगजाहिर हो चुका है. जिसमें हिंदी भाषा सीखने वालीं विदेशी युवतियां स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहीं थीं.
जहां कजाकिस्तान से आईं हिंदी प्रेमी छात्रा आलिया न्यूज18 से रूबरू हुईं. आलिया को बॉलीवुड का हिंदी गीत-संगीत यहां तक खींच लाया. बॉलीवुड फिल्मों की प्रशंसक आलिया दिल्ली में रहकर हिंदी भाषा को दुरूस्त कर रहीं हैं.
हिंदी भाषा प्रेमी आलिया बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा से शादी करने की इच्छुक हैं. आलिया अब हिंदी सीखकर अपने देश नहीं लौटना चाहतीं. आलिया का कहना है कि, 'अगर हिंदी भाषियों के साथ मुझे रहने का और घर बसाने का मौका मिले तो बेशक यही रहूंगी.' रूस के सेंट पीट्बर्ग के रहने वालीं कैमिला भी हिंदी सम्मेलन में शरीक हुईं हैं.
रूसी कमिला हिंदी सीखकर अनुवादक बनना चाहती हैं. पिछले दो हफ्ते से हिंदी सीख रहीं कमिला करीब दो साल भारत में गुजारेंगी. दिल्ली में हिंदी सीख रहीं कमिला भारत में हिंदी के बड़े-छोटे कार्यक्रम में शामिल होती रहती हैं.

दिल्ली के केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी भाषा सीख रहीं जॉय पार्क का कहना है कि, 'मेरे पति भारत में बिजनेस करना चाहते हैं, इसलिए मैं हिंदी सीखना चाहती हूं. जॉय के मुताबिक, भारत को समझने के लिए हिंदी सीखना बहुत जरूरी है. जॉय ने बताया कि उनके बिजनेसमेन पति भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा काम शुरू करना चाहते हैं. चूंकि वे अपने काम में बिजी रहते हैं इसलिए वे हिंदी सीखकर उनके साथ हाथ बटाना चाहती हैं.
जॉय के साथ ही हिंदी सम्मेलन में आईं सुश्री सुई बेक भी दिल्ली में हिंदी सीख रहीं हैं. सुई ने बताया कि वे भारत में रहकर एनजीओ के साथ काम करना चाहती हैं. इस काम में गांव-गरीबों के बीच जाना पड़ता है. चूंकि भारत में जनसामान्य की भाषा हिंदी है. यही कारण है कि वे यहां रहकर हिंदी भाषा का ज्ञान ले रहीं हैं.
कोई भारत में बिजनेस करने के लिए हिंदी भाषा सीख रहा है, तो कोई यहां के बॉलीवुड में हाथ आजमाने के लिए. वहीं जपान से आईं 26 वर्षीय सुश्री युकाको भारतीय इतिहास में बेहद रुचि रखती हैं. वे भारत में ही रच बस जाना चाहती हैं. हिंदी भाषा में मास्टर डिग्री लेने के बाद वे जापान जाकर हिंदी के क्षेत्र में काम करना चाहेगी.
जर्मनी की तत्याना ओरास्कया हम्बुर्ग विश्विद्यालय शिक्षित हैं. वे इन दिनों रूस के सेन्ट पीट्बर्ग में 'आधुनिक विज्ञान और भारत' विषय को हिंदी में पढ़ाती हैं. 16 सालों से कॉलेज में हिंदी पढ़ाने वाली प्रोफेसर तत्याना का विचार है कि मुख्यत: वे ही विदेशी हिंदी सीखना चाहते हैं जिन्हें भारत की संस्कृति से बहुत अधिक लगाव है या फिर उनको यहां व्यापार करने में रुचि है.
भारत के ही मणिपुर राज्य में नागा हिंदी विद्यापीठ संचालित करने वाली सुश्री अहम कामेयी सालों से सैंकडों छात्रों को हिंदी सिखा चुकी हैं. यह संस्थान उनके पिता एसके कामेयी ने 1973 में मणिपुर भाषा के अलावा हिंदी सीखने वालों के शुरू किया था.
फिजी के नंड्रोंगा आर्या कॉलेज में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष साधना शर्मा और प्राध्यापक रोहिणी कुमार 10 सालों से हिंदी के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं. पिछले दस सालों में वे हजारों छात्र-छात्राओं को हिंदी भाषी बना चुकी हैं. दोनों वहां की मातृ भाषा 'वोसा वाकावीवी' के अलावा हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को शिक्षित करती हैं. बता दें कि फिजी में 9-10वीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाया जाना अनिवार्य है.
स्रोत -
http://hindi.news18.com/news/madhya-pradesh/hindi-language-lover-foreign-girls-735188.html
Friday, September 11, 2015
तजाकिस्तान की मदीना को हिंदी प्रेम लाया भारत
भोपाल| इन दिनों मदीना को बोलते सुन उनके आसपास मौजूद भारतीय लोग हैरान हैं। तजाकिस्तान की रहने वाली मदीना फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं। उनके मुंह से निकले हिंदी के शब्द उनके हिंदी भाषी होने का अहसास कराते हैं। उनके दिल में हिंदी ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के प्रति भी विशेष प्रेम है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहे तीन दिवसीय 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लेने आईं तजाकिस्तान की यह युवा हिंदी प्रेमी बहुत उत्साहित हैं। वह हिंदी को अपना करियर बनाना चाहती हैं।
उन्होंने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि जब पहली बार हिंदी सुनी, तो यह उनके दिल को छू गई। उन्होंने तजाकिस्तान में रहते हुए ही हिंदी सीखी, लेकिन इसमें दक्षता चाहती थीं, इसलिए हिंदुस्तान चली आईं।
मदीना ने दिल्ली के केंद्रीय हिंदी संस्थान में नौ माह का पाठ्यक्रम पूरा किया। वह अब आगरा के हिंदी संस्थान में अध्ययनरत हैं। वह हिंदी की अनुवादक बनना चाहती हैं। इसके लिए हिंदी भाषा और साहित्य को जानना जरूरी समझती हैं। वह इस दिशा में जी-जान से अग्रसर हैं।
मदीना ने बताया कि वह छह भाषाओं की जानकार हैं, लेकिन तजाकिस्तान की भाषा के बाद सबसे ज्यादा हिंदी पसंद करती हैं। हिंदी ही नहीं, हिंदुस्तान भी उन्हें प्यारा लगता है। उन्हें आगरा शहर भी बहुत पसंद है।
वह पिछले पांच वर्षो से भारत में हैं और लगातार हिंदी का अध्ययन कर रही हैं। उनका कहना है कि तजाकिस्तान लौटकर वह हिंदी साहित्य का अपनी भाषा में अनुवाद करेंगी।
स्रोत - http://www.currentcrime.com/tajikistans-medina-brought-indias-hindi-love-tajikistan-medina-hindi-news/
स्रोत - http://www.currentcrime.com/tajikistans-medina-brought-indias-hindi-love-tajikistan-medina-hindi-news/
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