#भोपाल #मध्य प्रदेश आज अखबारों से लेकर सोशल मीडिया में हिंदी दिवस छाया हुआ है. गत दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में भी विदेशी लोगों का हिंदी प्रेम जगजाहिर हो चुका है. जिसमें हिंदी भाषा सीखने वालीं विदेशी युवतियां स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहीं थीं.
जहां कजाकिस्तान से आईं हिंदी प्रेमी छात्रा आलिया न्यूज18 से रूबरू हुईं. आलिया को बॉलीवुड का हिंदी गीत-संगीत यहां तक खींच लाया. बॉलीवुड फिल्मों की प्रशंसक आलिया दिल्ली में रहकर हिंदी भाषा को दुरूस्त कर रहीं हैं.
हिंदी भाषा प्रेमी आलिया बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा से शादी करने की इच्छुक हैं. आलिया अब हिंदी सीखकर अपने देश नहीं लौटना चाहतीं. आलिया का कहना है कि, 'अगर हिंदी भाषियों के साथ मुझे रहने का और घर बसाने का मौका मिले तो बेशक यही रहूंगी.' रूस के सेंट पीट्बर्ग के रहने वालीं कैमिला भी हिंदी सम्मेलन में शरीक हुईं हैं.
रूसी कमिला हिंदी सीखकर अनुवादक बनना चाहती हैं. पिछले दो हफ्ते से हिंदी सीख रहीं कमिला करीब दो साल भारत में गुजारेंगी. दिल्ली में हिंदी सीख रहीं कमिला भारत में हिंदी के बड़े-छोटे कार्यक्रम में शामिल होती रहती हैं.

दिल्ली के केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी भाषा सीख रहीं जॉय पार्क का कहना है कि, 'मेरे पति भारत में बिजनेस करना चाहते हैं, इसलिए मैं हिंदी सीखना चाहती हूं. जॉय के मुताबिक, भारत को समझने के लिए हिंदी सीखना बहुत जरूरी है. जॉय ने बताया कि उनके बिजनेसमेन पति भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा काम शुरू करना चाहते हैं. चूंकि वे अपने काम में बिजी रहते हैं इसलिए वे हिंदी सीखकर उनके साथ हाथ बटाना चाहती हैं.
जॉय के साथ ही हिंदी सम्मेलन में आईं सुश्री सुई बेक भी दिल्ली में हिंदी सीख रहीं हैं. सुई ने बताया कि वे भारत में रहकर एनजीओ के साथ काम करना चाहती हैं. इस काम में गांव-गरीबों के बीच जाना पड़ता है. चूंकि भारत में जनसामान्य की भाषा हिंदी है. यही कारण है कि वे यहां रहकर हिंदी भाषा का ज्ञान ले रहीं हैं.
कोई भारत में बिजनेस करने के लिए हिंदी भाषा सीख रहा है, तो कोई यहां के बॉलीवुड में हाथ आजमाने के लिए. वहीं जपान से आईं 26 वर्षीय सुश्री युकाको भारतीय इतिहास में बेहद रुचि रखती हैं. वे भारत में ही रच बस जाना चाहती हैं. हिंदी भाषा में मास्टर डिग्री लेने के बाद वे जापान जाकर हिंदी के क्षेत्र में काम करना चाहेगी.
जर्मनी की तत्याना ओरास्कया हम्बुर्ग विश्विद्यालय शिक्षित हैं. वे इन दिनों रूस के सेन्ट पीट्बर्ग में 'आधुनिक विज्ञान और भारत' विषय को हिंदी में पढ़ाती हैं. 16 सालों से कॉलेज में हिंदी पढ़ाने वाली प्रोफेसर तत्याना का विचार है कि मुख्यत: वे ही विदेशी हिंदी सीखना चाहते हैं जिन्हें भारत की संस्कृति से बहुत अधिक लगाव है या फिर उनको यहां व्यापार करने में रुचि है.
भारत के ही मणिपुर राज्य में नागा हिंदी विद्यापीठ संचालित करने वाली सुश्री अहम कामेयी सालों से सैंकडों छात्रों को हिंदी सिखा चुकी हैं. यह संस्थान उनके पिता एसके कामेयी ने 1973 में मणिपुर भाषा के अलावा हिंदी सीखने वालों के शुरू किया था.
फिजी के नंड्रोंगा आर्या कॉलेज में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष साधना शर्मा और प्राध्यापक रोहिणी कुमार 10 सालों से हिंदी के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं. पिछले दस सालों में वे हजारों छात्र-छात्राओं को हिंदी भाषी बना चुकी हैं. दोनों वहां की मातृ भाषा 'वोसा वाकावीवी' के अलावा हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को शिक्षित करती हैं. बता दें कि फिजी में 9-10वीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाया जाना अनिवार्य है.
स्रोत -
http://hindi.news18.com/news/madhya-pradesh/hindi-language-lover-foreign-girls-735188.html
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