Wednesday, August 12, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान की 129 फर्जी मार्कशीट का खुलासा

आगरा। डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्र्वविद्यालय के बाद अब केंद्रीय हिंदी संस्थान के दामन पर भी फर्जीवाड़े की कालिख लग गई है। ओडिशा से सत्यापन के लिए आईं 129 मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं। इसके बाद संस्थान में ही गोरखधंधा चलने की आशंका सामने आई है, जिसमें शामिल लोग बाहरी प्रदेशों में अंक तालिकाएं बिना पढ़ाई के देता है।

ओडिशा के विभिन्न जिलों में वर्ष 1998-2014 के दौरान केंद्रीय हिदी संस्थान की मार्कशीटों में गड़बड़ी का शक हुआ। जिसके बाद वर्ष 2011-2014 के दौरान 129 छात्र-छात्राओं के प्रमाण-पत्रों को सत्यापन के लिए भेजा था। उक्त अंक तालिकाओं की संस्थान ने जांच कराई, तो उनका अभिलेखों में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

प्रमाणपत्रों पर संस्थान के किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं थे। खुद संस्थान का मानना है प्रमाण-पत्र तथा अंकतालिका जारी करने वाले कॉकस को यहां की कार्यप्रणाली के बारे में काफी जानकारी है, जिसके चलते इतने लंबे समय से यह खेल चल रहा था।

केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा अधिकारियों से उक्त मामले में मुकदमा दर्ज कर कॉकस से जुड़े लोगों का पता लगाने को लिखा गया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

स्रोत - नई दुनिया (12/08/2015)
http://bit.ly/1NmYgu2

Sunday, August 9, 2015

'बीटीसी' छात्रों से धोखा

केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी शिक्षण प्रवीण (बीटीसी के समकक्ष) के छात्रों के साथ बड़ा धोखा सामने आया है। उन्हें दो साल के पाठ्यक्रम का भरोसा देकर प्रवेश देने के बाद भी एक साल में ही कोर्स खत्म कर दिया गया। नेशनल कौंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने इसे मान्यता नहीं दी। इस कोर्स की बदौलत करियर बनाने का सभी 50 छात्र-छात्राओं का सपना भी टूट गया।
संस्थान में शुरू से ही यह पाठ्यक्रम एक साल की अवधि का रहा है। एनसीटीई के बीटीसी को दो वर्षीय करने के बाद भी इसके समकक्ष इस कोर्स की अवधि नहीं बढ़ाई गई। नतीजा पिछले वर्षों में भी यह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले छात्र कहीं नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। गत वर्ष फरवरी में हिंदी संस्थान के अधिकारियों ने हिंदी शिक्षण प्रवीण के पाठ्यक्रम को द्विवार्षिक करने का निर्णय लिया और इसी के मुताबिक विज्ञापन प्रकाशित कराकर आवेदन आमंत्रित किए। जून में प्रवेश परीक्षा और जुलाई से पढ़ाई शुरू हुई। चंद महीने बाद ही, संस्थान ने प्रवेश ले चुके छात्रों को बताया कि यह पूर्व की भांति एक साल का ही रहेगा।
बताया गया कि दूसरे साल के लिए कोर्स मैटेरियल तय न होने के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है। साफ है कि मौजूदा सत्र में पढ़ने वाले छात्र भी कहीं नौकरी के योग्य नहीं होंगे। एक साल का होने के कारण संस्थान से इस सत्र में बीएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण पारंगत और एमएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण निष्णात कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का भी यही हाल होगा। क्योंकि एनसीटीई ने गत वर्ष 12 दिसंबर को ही बीएड और एमएड दो साल के घोषित कर दिए थे लेकिन इस संस्थान में ये कोर्स एक साल के ही रहे।

हिंदी शिक्षण प्रवीण पाठ्यक्रम दो वर्ष का ही था लेकिन सिलेबस तैयार नहीं हो सका। अगले सत्र तक सिलेबस तय हो जाएगा। संबंधित छात्रों के साथ संस्थान को पूरी सहानुभूति है।
चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव, केंद्रीय हिंदी संस्थान

स्रोत - लाइव यू,पी न्यज़ (09/08/2015)
http://liveupnews.in/district_news.php?district=9

Saturday, August 8, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान के नए निदेशक - अगस्त 2015

एनके पांडे की मिली अहम जिम्मेदारी
राजस्थान विश्वविधालय के हिन्दी विभाग के एचआेडी प्रो एनके पांडेय को  यूपी के आगरा स्थित केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद पर नियुक्ति दी गई है। माना जा रहा है  पांडे को भी संघ निष्ठ होने का लाभ मिला है।  एचआरडी मंत्रालय द्वारा स्थापित ये संस्थान अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी प्रशिक्षण और विदेशियों को हिन्दी पढ़ाने का जिम्मा संभालने वाला  संस्थान है। जिसके देश में नौ केन्द्र है।
निदेशक का पदभार संभालने वाले प्रो पाण्डेय ने कहा कि अब हिन्दी शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, केन्द्रों की स्थिति मजबूत करने और दक्षिण भारत के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिन्दी के प्रचार.प्रसार में गति लाने का प्रयास किया जाएगा ।
स्रोत - राजस्थान पत्रिका (01/08/2015)
http://bit.ly/1KWqRUx

Friday, August 7, 2015

सबसे पहले संस्थान सुधारना है: प्रो. पांडेय

जागरण संवाददाता, आगरा: केंद्रीय ¨हदी संस्थान में नए निदेशक की नियुक्ति के लिए शुरू हुआ काउंट डाउन अब समाप्त हो गया है। नए निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडेय अगस्त के अंत में कार्यभार संभाल लेंगे। वर्तमान में जयपुर विवि के डीन, रिसर्च डायरेक्टर तथा ¨हदी भाषा के उत्थान के लिए चल रहे वृहद् प्रोजेक्ट के कारण वे अत्यंत व्यस्त हैं। गुरुवार को उन्होंने दैनिक जागरण को दिए खास इंटरव्यू में संस्थान को लेकर कई बिंदुओं पर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
- संस्थान को लेकर आपकी पहली प्राथमिकता क्या है?
- मुझे पता लगा है कि संस्थान अच्छी हालत में नहीं है। यहां शिक्षकों की कमी है, कर्मचारियों की कमी है, भवन की हालत भी ठीक नहीं है। सबसे पहले स्थिति सुधारनी है।
- हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बनाने पर विचार किया है?
- यहां जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते हैं, उनकी गुणवत्ता बढ़ाई जाएंगी। शोध पत्र-पत्रिकाओं को नियमित और व्यवस्थित करना है।
देश में ¨हदी केंद्रों की स्थिति को लेकर आप संतुष्ट हैं?
- नहीं, मेरी कोशिश रहेगी कि बंगाल, दक्षिण भारत, पंजाब, कश्मीर जैसे राज्यों में भी संस्थान के केंद्र खोले जाएं। वर्तमान में देश में आठ केंद्र हैं, इतने केंद्र ¨हदी भाषा शिक्षण के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
- विदेशी छात्रों को लेकर भी आपने कोई योजना बनाई है?
- वर्तमान में जितनी सीटें संस्थान में विदेशी छात्रों के लिए निर्धारित हैं, उन्हें बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। जिन देशों के छात्र यहां पढ़ते हैं, वहां ¨हदी को लेकर संगोष्ठी, शोध की व्यवस्था की जाएगी।

स्रोत - दैनिक जागरण (07/08/2015)
http://bit.ly/1IPEcdt