आगरा। डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्र्वविद्यालय के बाद अब केंद्रीय हिंदी संस्थान के दामन पर भी फर्जीवाड़े की कालिख लग गई है। ओडिशा से सत्यापन के लिए आईं 129 मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं। इसके बाद संस्थान में ही गोरखधंधा चलने की आशंका सामने आई है, जिसमें शामिल लोग बाहरी प्रदेशों में अंक तालिकाएं बिना पढ़ाई के देता है।
ओडिशा के विभिन्न जिलों में वर्ष 1998-2014 के दौरान केंद्रीय हिदी संस्थान की मार्कशीटों में गड़बड़ी का शक हुआ। जिसके बाद वर्ष 2011-2014 के दौरान 129 छात्र-छात्राओं के प्रमाण-पत्रों को सत्यापन के लिए भेजा था। उक्त अंक तालिकाओं की संस्थान ने जांच कराई, तो उनका अभिलेखों में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
प्रमाणपत्रों पर संस्थान के किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं थे। खुद संस्थान का मानना है प्रमाण-पत्र तथा अंकतालिका जारी करने वाले कॉकस को यहां की कार्यप्रणाली के बारे में काफी जानकारी है, जिसके चलते इतने लंबे समय से यह खेल चल रहा था।
केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा अधिकारियों से उक्त मामले में मुकदमा दर्ज कर कॉकस से जुड़े लोगों का पता लगाने को लिखा गया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
स्रोत - नई दुनिया (12/08/2015)
http://bit.ly/1NmYgu2
ओडिशा के विभिन्न जिलों में वर्ष 1998-2014 के दौरान केंद्रीय हिदी संस्थान की मार्कशीटों में गड़बड़ी का शक हुआ। जिसके बाद वर्ष 2011-2014 के दौरान 129 छात्र-छात्राओं के प्रमाण-पत्रों को सत्यापन के लिए भेजा था। उक्त अंक तालिकाओं की संस्थान ने जांच कराई, तो उनका अभिलेखों में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।
प्रमाणपत्रों पर संस्थान के किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं थे। खुद संस्थान का मानना है प्रमाण-पत्र तथा अंकतालिका जारी करने वाले कॉकस को यहां की कार्यप्रणाली के बारे में काफी जानकारी है, जिसके चलते इतने लंबे समय से यह खेल चल रहा था।
केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा अधिकारियों से उक्त मामले में मुकदमा दर्ज कर कॉकस से जुड़े लोगों का पता लगाने को लिखा गया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
स्रोत - नई दुनिया (12/08/2015)
http://bit.ly/1NmYgu2
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