Sunday, August 9, 2015

'बीटीसी' छात्रों से धोखा

केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी शिक्षण प्रवीण (बीटीसी के समकक्ष) के छात्रों के साथ बड़ा धोखा सामने आया है। उन्हें दो साल के पाठ्यक्रम का भरोसा देकर प्रवेश देने के बाद भी एक साल में ही कोर्स खत्म कर दिया गया। नेशनल कौंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने इसे मान्यता नहीं दी। इस कोर्स की बदौलत करियर बनाने का सभी 50 छात्र-छात्राओं का सपना भी टूट गया।
संस्थान में शुरू से ही यह पाठ्यक्रम एक साल की अवधि का रहा है। एनसीटीई के बीटीसी को दो वर्षीय करने के बाद भी इसके समकक्ष इस कोर्स की अवधि नहीं बढ़ाई गई। नतीजा पिछले वर्षों में भी यह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले छात्र कहीं नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। गत वर्ष फरवरी में हिंदी संस्थान के अधिकारियों ने हिंदी शिक्षण प्रवीण के पाठ्यक्रम को द्विवार्षिक करने का निर्णय लिया और इसी के मुताबिक विज्ञापन प्रकाशित कराकर आवेदन आमंत्रित किए। जून में प्रवेश परीक्षा और जुलाई से पढ़ाई शुरू हुई। चंद महीने बाद ही, संस्थान ने प्रवेश ले चुके छात्रों को बताया कि यह पूर्व की भांति एक साल का ही रहेगा।
बताया गया कि दूसरे साल के लिए कोर्स मैटेरियल तय न होने के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है। साफ है कि मौजूदा सत्र में पढ़ने वाले छात्र भी कहीं नौकरी के योग्य नहीं होंगे। एक साल का होने के कारण संस्थान से इस सत्र में बीएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण पारंगत और एमएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण निष्णात कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का भी यही हाल होगा। क्योंकि एनसीटीई ने गत वर्ष 12 दिसंबर को ही बीएड और एमएड दो साल के घोषित कर दिए थे लेकिन इस संस्थान में ये कोर्स एक साल के ही रहे।

हिंदी शिक्षण प्रवीण पाठ्यक्रम दो वर्ष का ही था लेकिन सिलेबस तैयार नहीं हो सका। अगले सत्र तक सिलेबस तय हो जाएगा। संबंधित छात्रों के साथ संस्थान को पूरी सहानुभूति है।
चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव, केंद्रीय हिंदी संस्थान

स्रोत - लाइव यू,पी न्यज़ (09/08/2015)
http://liveupnews.in/district_news.php?district=9

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