Monday, September 14, 2015

केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंदकिशोर पांडे


जयपुर हिन्दी को संरक्षण देने के साथ ही आधुनिक भाषा के रूप में विकसित करने की जरूरत है। हिन्दी को भारतीय संस्कृति और गौरव के रूप में जन-जन से जोडऩे की जरूरत है। यह कहना है शिक्षा राज्य मंत्री
प्रोफेसर वासुदेव देवनानी का।
देवनानी सोमवार को हिन्दी दिवस के अवसर पर भाषा एवं पुस्तकाल विभाग द्वारा जवाहर कला केन्द्र में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

 देवनानी ने कहा कि चिकित्सा, विज्ञान एवं तकनीकी विषयों में अधिकाधिक हिन्दी भाषा में लेखन को बढावा देने की जरूरत है। शिक्षामंत्री ने कहा कि पचास से अधिक देशों के पांच सौ से अधिक केंद्रों पर हिंदी पढाई जाती है।
जिस भाषा ने दूसरी भाषाओं को अपनाते हुए उनका संरक्षण किया है, एेसी भाषा के विकास की जरूरत है। समारोह में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वर्ष 2015 की परीक्षामें हिन्दी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र देकर शिक्षामंत्री ने सम्मानित किया।

हिन्दी को मिले वैश्विक दर्जा
एक समय था जब हिंदी क प्यूटर की भाषा नहीं थी परन्तु आज इन्टरनेट में भी हिन्दी का बोलबाला है। बहुराष्ट्रीय क पनियां भी अपने उत्पाद भारत में बेचने के लिए हिन्दी में ही अपना प्रचार कर रही हैं। हिन्दी के विश्वव्यापी महत्व को समझते हुए इसे विश्व की पहले दर्जे की भाषा के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।
सरकारी कामकाजों में पिछड़ापन
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक डॉ नंदकिशोर पांडे ने कहा कि हिन्दी भाषा बोल चाल में नहीं बल्कि सरकारी कामकाजों में पिछड़ी हुई है। हिन्दी की ताकत यही है कि वह सबकी है, लेकिन बोली के रूप में किसी की नहीं है। इस अवसर पर देवर्षि कलानाथ शास्त्री ने हिन्दी के गौरव को सदा अपने साथ रखने और भाषा शुद्धि पर भी विशेष ध्यानल देने पर जोर दिया। भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की निदेशक चित्रा गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किए

स्रोत -
http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/rajasthan/hindi-need-to-develop-as-a-modern-language-1302301.html

ये विदेशी बालाएँ गर्व से हिंदी बोलती हैं


#भोपाल #मध्य प्रदेश आज अखबारों से लेकर सोशल मीडिया में हिंदी दिवस छाया हुआ है. गत दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में भी विदेशी लोगों का हिंदी प्रेम जगजाहिर हो चुका है. जिसमें हिंदी भाषा सीखने वालीं विदेशी युवतियां स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहीं थीं.


जहां कजाकिस्तान से आईं हिंदी प्रेमी छात्रा आलिया न्यूज18 से रूबरू हुईं. आलिया को बॉलीवुड का हिंदी गीत-संगीत यहां तक खींच लाया. बॉलीवुड फिल्मों की प्रशंसक आलिया दिल्ली में रहकर हिंदी भाषा को दुरूस्त कर रहीं हैं.
हिंदी भाषा प्रेमी आलिया बॉलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा से शादी करने की इच्छुक हैं. आलिया अब हिंदी सीखकर अपने देश नहीं लौटना चाहतीं. आलिया का कहना है कि, 'अगर हिंदी भाषियों के साथ मुझे रहने का और घर बसाने का मौका मिले तो बेशक यही रहूंगी.' रूस के सेंट पीट्बर्ग के रहने वालीं कैमिला भी हिंदी सम्मेलन में शरीक हुईं हैं.

रूसी कमिला हिंदी सीखकर अनुवादक बनना चाहती हैं. पिछले दो हफ्ते से हिंदी सीख रहीं कमिला करीब दो साल भारत में गुजारेंगी. दिल्ली में हिंदी सीख रहीं कमिला भारत में हिंदी के बड़े-छोटे कार्यक्रम में शामिल होती रहती हैं.
ये विदेशी बालाएं गर्व से कहती हैं #हिन्दी_में_बोलो






दिल्ली के केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी भाषा सीख रहीं जॉय पार्क का कहना है कि, 'मेरे पति भारत में बिजनेस करना चाहते हैं, इसलिए मैं हिंदी सीखना चाहती हूं. जॉय के मुताबिक, भारत को समझने के लिए हिंदी सीखना बहुत जरूरी है. जॉय ने बताया कि उनके बिजनेसमेन पति भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ा काम शुरू करना चाहते हैं. चूंकि वे अपने काम में बिजी रहते हैं इसलिए वे हिंदी सीखकर उनके साथ हाथ बटाना चाहती हैं.

जॉय के साथ ही हिंदी सम्मेलन में आईं सुश्री सुई बेक भी दिल्ली में हिंदी सीख रहीं हैं. सुई ने बताया कि वे भारत में रहकर एनजीओ के साथ काम करना चाहती हैं. इस काम में गांव-गरीबों के बीच जाना पड़ता है. चूंकि भारत में जनसामान्य की भाषा हिंदी है. यही कारण है कि वे यहां रहकर हिंदी भाषा का ज्ञान ले रहीं हैं.

कोई भारत में बिजनेस करने के लिए हिंदी भाषा सीख रहा है, तो कोई यहां के बॉलीवुड में हाथ आजमाने के लिए. वहीं जपान से आईं 26 वर्षीय सुश्री युकाको भारतीय इतिहास में बेहद रुचि रखती हैं. वे भारत में ही रच बस जाना चाहती हैं. हिंदी भाषा में मास्टर डिग्री लेने के बाद वे जापान जाकर हिंदी के क्षेत्र में काम करना चाहेगी.

जर्मनी की तत्याना ओरास्कया हम्बुर्ग विश्विद्यालय शिक्षित हैं. वे इन दिनों रूस के सेन्ट पीट्बर्ग में 'आधुनिक विज्ञान और भारत' विषय को हिंदी में पढ़ाती हैं. 16 सालों से कॉलेज में हिंदी पढ़ाने वाली प्रोफेसर तत्याना का विचार है कि मुख्यत: वे ही विदेशी हिंदी सीखना चाहते हैं जिन्हें भारत की संस्कृति से बहुत अधिक लगाव है या फिर उनको यहां व्यापार करने में रुचि है.

भारत के ही मणिपुर राज्य में नागा हिंदी विद्यापीठ संचालित करने वाली सुश्री अहम कामेयी सालों से सैंकडों छात्रों को हिंदी सिखा चुकी हैं. यह संस्थान उनके पिता एसके कामेयी ने 1973 में मणिपुर भाषा के अलावा हिंदी सीखने वालों के शुरू किया था.

फिजी के नंड्रोंगा आर्या कॉलेज में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष साधना शर्मा और प्राध्यापक रोहिणी कुमार 10 सालों से हिंदी के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं. पिछले दस सालों में वे हजारों छात्र-छात्राओं को हिंदी भाषी बना चुकी हैं. दोनों वहां की मातृ भाषा 'वोसा वाकावीवी' के अलावा हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में बच्चों को शिक्षित करती हैं. बता दें कि फिजी में 9-10वीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाया जाना अनिवार्य है.

स्रोत -
http://hindi.news18.com/news/madhya-pradesh/hindi-language-lover-foreign-girls-735188.html

Friday, September 11, 2015

तजाकिस्तान की मदीना को हिंदी प्रेम लाया भारत

भोपाल| इन दिनों मदीना को बोलते सुन उनके आसपास मौजूद भारतीय लोग हैरान हैं। तजाकिस्तान की रहने वाली मदीना फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं। उनके मुंह से निकले हिंदी के शब्द उनके हिंदी भाषी होने का अहसास कराते हैं। उनके दिल में हिंदी ही नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के प्रति भी विशेष प्रेम है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहे तीन दिवसीय 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लेने आईं तजाकिस्तान की यह युवा हिंदी प्रेमी बहुत उत्साहित हैं। वह हिंदी को अपना करियर बनाना चाहती हैं।
उन्होंने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि जब पहली बार हिंदी सुनी, तो यह उनके दिल को छू गई। उन्होंने तजाकिस्तान में रहते हुए ही हिंदी सीखी, लेकिन इसमें दक्षता चाहती थीं, इसलिए हिंदुस्तान चली आईं।
मदीना ने दिल्ली के केंद्रीय हिंदी संस्थान में नौ माह का पाठ्यक्रम पूरा किया। वह अब आगरा के हिंदी संस्थान में अध्ययनरत हैं। वह हिंदी की अनुवादक बनना चाहती हैं। इसके लिए हिंदी भाषा और साहित्य को जानना जरूरी समझती हैं। वह इस दिशा में जी-जान से अग्रसर हैं।
मदीना ने बताया कि वह छह भाषाओं की जानकार हैं, लेकिन तजाकिस्तान की भाषा के बाद सबसे ज्यादा हिंदी पसंद करती हैं। हिंदी ही नहीं, हिंदुस्तान भी उन्हें प्यारा लगता है। उन्हें आगरा शहर भी बहुत पसंद है।
वह पिछले पांच वर्षो से भारत में हैं और लगातार हिंदी का अध्ययन कर रही हैं। उनका कहना है कि तजाकिस्तान लौटकर वह हिंदी साहित्य का अपनी भाषा में अनुवाद करेंगी।

स्रोत - http://www.currentcrime.com/tajikistans-medina-brought-indias-hindi-love-tajikistan-medina-hindi-news/

Wednesday, August 12, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान की 129 फर्जी मार्कशीट का खुलासा

आगरा। डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्र्वविद्यालय के बाद अब केंद्रीय हिंदी संस्थान के दामन पर भी फर्जीवाड़े की कालिख लग गई है। ओडिशा से सत्यापन के लिए आईं 129 मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं। इसके बाद संस्थान में ही गोरखधंधा चलने की आशंका सामने आई है, जिसमें शामिल लोग बाहरी प्रदेशों में अंक तालिकाएं बिना पढ़ाई के देता है।

ओडिशा के विभिन्न जिलों में वर्ष 1998-2014 के दौरान केंद्रीय हिदी संस्थान की मार्कशीटों में गड़बड़ी का शक हुआ। जिसके बाद वर्ष 2011-2014 के दौरान 129 छात्र-छात्राओं के प्रमाण-पत्रों को सत्यापन के लिए भेजा था। उक्त अंक तालिकाओं की संस्थान ने जांच कराई, तो उनका अभिलेखों में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

प्रमाणपत्रों पर संस्थान के किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी नहीं थे। खुद संस्थान का मानना है प्रमाण-पत्र तथा अंकतालिका जारी करने वाले कॉकस को यहां की कार्यप्रणाली के बारे में काफी जानकारी है, जिसके चलते इतने लंबे समय से यह खेल चल रहा था।

केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा अधिकारियों से उक्त मामले में मुकदमा दर्ज कर कॉकस से जुड़े लोगों का पता लगाने को लिखा गया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

स्रोत - नई दुनिया (12/08/2015)
http://bit.ly/1NmYgu2

Sunday, August 9, 2015

'बीटीसी' छात्रों से धोखा

केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी शिक्षण प्रवीण (बीटीसी के समकक्ष) के छात्रों के साथ बड़ा धोखा सामने आया है। उन्हें दो साल के पाठ्यक्रम का भरोसा देकर प्रवेश देने के बाद भी एक साल में ही कोर्स खत्म कर दिया गया। नेशनल कौंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने इसे मान्यता नहीं दी। इस कोर्स की बदौलत करियर बनाने का सभी 50 छात्र-छात्राओं का सपना भी टूट गया।
संस्थान में शुरू से ही यह पाठ्यक्रम एक साल की अवधि का रहा है। एनसीटीई के बीटीसी को दो वर्षीय करने के बाद भी इसके समकक्ष इस कोर्स की अवधि नहीं बढ़ाई गई। नतीजा पिछले वर्षों में भी यह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले छात्र कहीं नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। गत वर्ष फरवरी में हिंदी संस्थान के अधिकारियों ने हिंदी शिक्षण प्रवीण के पाठ्यक्रम को द्विवार्षिक करने का निर्णय लिया और इसी के मुताबिक विज्ञापन प्रकाशित कराकर आवेदन आमंत्रित किए। जून में प्रवेश परीक्षा और जुलाई से पढ़ाई शुरू हुई। चंद महीने बाद ही, संस्थान ने प्रवेश ले चुके छात्रों को बताया कि यह पूर्व की भांति एक साल का ही रहेगा।
बताया गया कि दूसरे साल के लिए कोर्स मैटेरियल तय न होने के कारण यह निर्णय लेना पड़ा है। साफ है कि मौजूदा सत्र में पढ़ने वाले छात्र भी कहीं नौकरी के योग्य नहीं होंगे। एक साल का होने के कारण संस्थान से इस सत्र में बीएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण पारंगत और एमएड के समकक्ष हिंदी शिक्षण निष्णात कोर्स में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का भी यही हाल होगा। क्योंकि एनसीटीई ने गत वर्ष 12 दिसंबर को ही बीएड और एमएड दो साल के घोषित कर दिए थे लेकिन इस संस्थान में ये कोर्स एक साल के ही रहे।

हिंदी शिक्षण प्रवीण पाठ्यक्रम दो वर्ष का ही था लेकिन सिलेबस तैयार नहीं हो सका। अगले सत्र तक सिलेबस तय हो जाएगा। संबंधित छात्रों के साथ संस्थान को पूरी सहानुभूति है।
चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव, केंद्रीय हिंदी संस्थान

स्रोत - लाइव यू,पी न्यज़ (09/08/2015)
http://liveupnews.in/district_news.php?district=9

Saturday, August 8, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान के नए निदेशक - अगस्त 2015

एनके पांडे की मिली अहम जिम्मेदारी
राजस्थान विश्वविधालय के हिन्दी विभाग के एचआेडी प्रो एनके पांडेय को  यूपी के आगरा स्थित केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद पर नियुक्ति दी गई है। माना जा रहा है  पांडे को भी संघ निष्ठ होने का लाभ मिला है।  एचआरडी मंत्रालय द्वारा स्थापित ये संस्थान अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी प्रशिक्षण और विदेशियों को हिन्दी पढ़ाने का जिम्मा संभालने वाला  संस्थान है। जिसके देश में नौ केन्द्र है।
निदेशक का पदभार संभालने वाले प्रो पाण्डेय ने कहा कि अब हिन्दी शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, केन्द्रों की स्थिति मजबूत करने और दक्षिण भारत के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिन्दी के प्रचार.प्रसार में गति लाने का प्रयास किया जाएगा ।
स्रोत - राजस्थान पत्रिका (01/08/2015)
http://bit.ly/1KWqRUx

Friday, August 7, 2015

सबसे पहले संस्थान सुधारना है: प्रो. पांडेय

जागरण संवाददाता, आगरा: केंद्रीय ¨हदी संस्थान में नए निदेशक की नियुक्ति के लिए शुरू हुआ काउंट डाउन अब समाप्त हो गया है। नए निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडेय अगस्त के अंत में कार्यभार संभाल लेंगे। वर्तमान में जयपुर विवि के डीन, रिसर्च डायरेक्टर तथा ¨हदी भाषा के उत्थान के लिए चल रहे वृहद् प्रोजेक्ट के कारण वे अत्यंत व्यस्त हैं। गुरुवार को उन्होंने दैनिक जागरण को दिए खास इंटरव्यू में संस्थान को लेकर कई बिंदुओं पर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
- संस्थान को लेकर आपकी पहली प्राथमिकता क्या है?
- मुझे पता लगा है कि संस्थान अच्छी हालत में नहीं है। यहां शिक्षकों की कमी है, कर्मचारियों की कमी है, भवन की हालत भी ठीक नहीं है। सबसे पहले स्थिति सुधारनी है।
- हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बनाने पर विचार किया है?
- यहां जो प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते हैं, उनकी गुणवत्ता बढ़ाई जाएंगी। शोध पत्र-पत्रिकाओं को नियमित और व्यवस्थित करना है।
देश में ¨हदी केंद्रों की स्थिति को लेकर आप संतुष्ट हैं?
- नहीं, मेरी कोशिश रहेगी कि बंगाल, दक्षिण भारत, पंजाब, कश्मीर जैसे राज्यों में भी संस्थान के केंद्र खोले जाएं। वर्तमान में देश में आठ केंद्र हैं, इतने केंद्र ¨हदी भाषा शिक्षण के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
- विदेशी छात्रों को लेकर भी आपने कोई योजना बनाई है?
- वर्तमान में जितनी सीटें संस्थान में विदेशी छात्रों के लिए निर्धारित हैं, उन्हें बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। जिन देशों के छात्र यहां पढ़ते हैं, वहां ¨हदी को लेकर संगोष्ठी, शोध की व्यवस्था की जाएगी।

स्रोत - दैनिक जागरण (07/08/2015)
http://bit.ly/1IPEcdt

Sunday, June 28, 2015

निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया अधर में लटकी

केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया अधर में लटक गई है। खबर है नियुक्ति प्रक्रिया में एक उम्मीदवार का नाम बाद में जोड़े जाने पर कार्मिक मंत्रालय ने आपत्ति दर्ज कराई है जिसके बाद नियुक्ति की फाइल अटकी हुई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय यह बता पाने में असमर्थ है कि कब संस्थान को नया निदेशक मिलेगा।

आगरा हिन्दी संस्थान के निदेशक का कार्यकाल पिछले साल अगस्त में ही खत्म हो गया था। लेकिन नई नियुक्ति नहीं होने के कारण निदेशक मोहन को सेवा विस्तार दे दिया गया। केंद्र सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया देर से शुरू की और प्रक्रिया में अब और देरी होने लगी है। 7 अप्रैल को उम्मीदवारों के इंटरव्यू हुए थे। इसके बाद मंत्रालय ने तीन लोगों के नाम का पैनल तैयार किया था। लेकिन खबर यह है कि इसमें एक ऐसे व्यक्ति का नाम शामिल किया गया जिससे विधिवत आवेदन ही नहीं किया था। इस बार में कार्मिक मंत्रालय को शिकायतें मिलने की खबर है।

सूत्रों के अनुसार इस बारे में कार्मिक मंत्रालय को शिकायत मिलने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया की दोबारा जांच की गई है। खबर है कि कार्मिक मंत्रालय ने उस व्यक्ति के नाम को हटाने और दोबारा पैनल तैयार करके भेजने को कहा है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दोबारा पैनल बनाकर भेजा जा रहा है। इसलिए इस अभी निदेशक की नियुक्ति में समय लग सकता है।

बता दें कि केंद्रीय यूनिर्वसिटीमें कुलपतियों के एक दर्जन से भी अधिक पद रक्ति पड़े हैं। सीबीएसई और एनसीईआरटीई जैसे महकमों के मुखिया की भी नियुक्ति नहीं हो पा रही है। हिन्दी संस्थान भी इसी कतार में खड़ा है।

स्रोत -  हिन्दुस्तान (28/06/2015)
http://bit.ly/1IPwNea

Saturday, May 9, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान में क्राइम ब्रांच का छापा, रिकार्ड जब्त

फर्जी मार्कशीट प्रकरण में उड़ीसा की क्राइम ब्रांच टीम ने शुक्रवार को केंद्रीय हिंदी संस्थान में छापा मारा। दो सदस्यीय टीम ने यहां करीब दस घंटे तक रिकार्ड खंगाले। उच्चाधिकारियों समेत कइयाें से घंटों पूछताछ की। टीम ने शैक्षणिक रिकार्ड और कंप्यूटर डेटा शीट जब्त की है। टीम के यहां दो दिन तक रहने की उम्मीद है।

अमर उजाला ने बीते साल 24 दिसंबर को केंद्रीय हिंदी संस्थान में चल रहे फर्जी मार्कशीट बनाने के गिरोह का भंड़ाफोड़ किया था। उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से संस्थान में सत्यापन को आईं करीब 132 मार्कशीट फर्जी पाई गईं। पूरे खेल में आगरा के उच्चाधिकारियाें का हाथ सामने आया है। इस पर संस्थान प्रशासन ने बीती 22 जनवरी को उड़ीसा और आंध्रप्रदेश में डिग्री फर्जी होने की जानकारी दी। इसके आधार पर दो फरवरी को उच्चस्तरीय जांच बिठाई गई। इसी के तहत शुक्रवार की सुबह साढ़े नौ बजे क्राइम ब्रांच के डीएसपी रमेश चंद्र सेठी और सब इंस्पेक्टर गौरीशंकर संस्थान पहुंचे। उन्होंने कुलसचिव चंद्रकांत त्रिपाठी से मुलाकात कर जांच शुरू की। सूत्र बताते हैं कि इसमें कई गड़बड़ियां टीम को मिली हैं। शाम करीब सात बजे तक जांच चलती रही। 

- फर्जी मार्कशीट की जांच को टीम आई है। मैं फिलहाल दिल्ली मीटिंग में भाग लेने आया हूं, वहां क्या हुआ है मुझे जानकारी नहीं है। प्रो. मोहन, निदेशक केंद्रीय हिंदी संस्थान

- फर्जी मार्कशीट की जांच के लिए टीम आई है। टीम के सदस्य दस्तावेजों की फोटोकापी कराके साथ ले गए हैं। टीम दो दिन और जांच करेगी। चंद्रकांत त्रिपाठी, कुलसचिव, केंद्रीय हिंदी संस्थान 

जांच में नहीं किया सहयोग
- फर्जीवाड़े की जांच को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि टीम को जांच में सहयोग नहीं किया गया। टीम द्वारा मांगे गए कई दस्तावेज भी आधे-अधूरे उपलब्ध कराए गए। 

मीडिया को कवरेज से रोका
- मीडियाकर्मियों को कवरेज से रोका गया। इसका विरोध करने पर जांच टीम स्वयं आगे आए। डीएसपी रमेश चंद्र सेठी ने बताया कि फर्जी मार्कशीट मामले में जांच करने आए हैं। जरूरत के मुताबिक शैक्षणिक रिकार्ड मांगे जा रहे हैं। 

यह है पूरा मामला
- 2003 से 2012 तक की 132 फर्जी मार्कशीट पकड़ में आईं। संस्थान के दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, शिलांग और मैसूर केंद्र हैं। यहां से मिली डिग्री के आधार पर नौकरी मिलने के बाद संबंधित विभागों ने आगरा मुख्यालय में सत्यापन के लिए डिग्री भेजी थी। इस पर तत्कालीन मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल समेत यहां के परीक्षा नियंत्रक के जाली हस्ताक्षर और संस्थान की मुहर पाई गई। मार्कशीट हूबहू वास्तविक मार्कशीट की तरह है। संदेह है कि ऑरिजनल मार्कशीट पर नकली अंक चढ़ाकर इसे लाखाें रुपये में बेचा गया है।

स्रोत - अमर उजाला (09/05/2015)
http://bit.ly/1MZ788X

Tuesday, March 10, 2015

आगरा में उड़ीसा की छात्रा से अश्लील हरकत, चपरासी गिरफ्तार

केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की एक छात्रा से अश्लील हरकत कर उसे परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। आगरा। केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की एक छात्रा से अश्लील हरकत कर उसे परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। आरोपी सौरभ राज संस्थान में ही कॉन्ट्रेक्ट पर चपरासी है। कुलसचिव डा. चंद्रकांत त्रिपाठी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को नौकरी से बर्खास्त कर पुलिस के हवाले कर दिया है। केन्द्रीय हिंदी संस्थान में उड़ीसा की छात्रा सीमा (काल्पिनिक नाम) प्रवीण की पढ़ाई कर रही है। वह कैंपस में ही बने हॉस्टल में रहती है। वहीं कार्यरत चपरासी सौरभ राज पिछले आठ माह से सीमा से मोबाइल फोन पर अश्लील बातें कर उसे परेशान कर रहा था। शिकायत करने पर फेल कराने की धमकी देता था। मना करने पर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। अंतत: सीमा ने यह बात अपनी सहेलियों को बताई। हिम्मत कर सभी छात्राओं ने उसे सबक सिखाने की ठान ली। इसके बाद उसकी अश्लील बातों की आठ मिनट की रिकार्डिंग कर ली गई। सोमवार शाम को सभी छात्राओं ने इस सबूत को लेकर कुलसचिव के पास शिकायत की। छात्राएं इतने गुस्से में थीं कि सभी एकजुट होकर तहरीर देने के लिए न्यू आगरा थाने में पहुंच गईं। पुलिस ने मंगलवार सुबह आरोपी चपरासी को गिरप्तार कर लिया। उसके खिलाफ अपराध क्रमांक 228/15 धारा 294 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उधर, हिंदी संस्थान के कुलसचिव डा. चंद्रकांत त्रिपाठी ने कहा कि यह शर्मसार करनेवाली घटना है। इस मामले में दोषी चपरासी सौरभ राज को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही उसके कैंपस में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने छात्राओं से ऐसे मामलों में निर्भीक होकर तत्काल शिकायत करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय हिंदी संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर का शिक्षण संस्थान है, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत है। इसमें गैर हिंदी प्रदेशों के अलावा विदेशों से भी छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने के लिए आते हैं। इस तरह की घटनाओं से संस्थान की छवि को गहरा धक्का लग सकता है।

स्रोत - पत्रिका (10/03/2015)
http://bit.ly/1PdCyYp

केंद्रीय हिंदी संस्थान से मंत्रालय नाराज़


जागरण संवाददाता,आगरा: लगातार लापरवाही से नाराज मंत्रालय ने इस बार केंद्रीय हिंदी संस्थान को तगड़ा झटका दे दिया। मरम्मत के लिए भेजे गए 5.30 करोड़ के प्रस्ताव में कटौती करते हुए सिर्फ तीस लाख मंजूर किए हैं। संस्थान द्वारा चार साल से पैसा दिए जाने के बावजूद मरम्मत कार्य न कराए जाने के कारण यह कदम उठाया है।
संस्थान द्वारा कई साल से करोड़ों रुपये का बजट मंत्रालय से प्रोजेक्ट के नाम पर मांगा जाता रहा है, लेकिन साल के अंत में प्रोजेक्ट पूरे न होने पर पैसा लौटा दिया जाता है। मरम्मत कार्य के साथ भी यही स्थिति है। संस्थान चार साल से दो पुरुष छात्रावास, एक महिला छात्रावास, मुख्य भवन की मरम्मत के नाम पर तीन से चार करोड़ रुपये मांग रहा है, लेकिन वित्तीय वर्ष के अंत में हर बार यह पैसा लौटा दिया जाता है। इस बार भी रिनोवेशन के लिए 5.30 करोड़ रुपये संस्थान के लिए मंजूर हो गए थे। संस्थान विद्यार्थियों की परीक्षा के बाद निर्माण कार्य शुरू करने जा रहा था लेकिन कुछ दिन पहले मंत्रालय ने पांच करोड़ रुपये काटकर महज तीस लाख रुपये बजट पास किया है। मंत्रालय का तर्क है कि संस्थान बार-बार पैसा लेने के बावजूद प्रोजेक्ट पूरे नहीं कर रहा। मरम्मत कार्य भी नहीं करा रहा। ऐसे में बजट देने का क्या फायदा।
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यह बात सही है कि पिछले चार साल से मरम्मत कार्य के नाम पर लिया जा रहा पैसा संस्थान द्वारा लौटाया जा रहा है। इस बार मरम्मत कार्य के लिए वित्त समिति और शासी समिति की बैठक में पांच करोड़, तीस लाख रुपये के बजट को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन मंत्रालय ने केवल तीस लाख रुपये प्रदान किए हैं।
अनिल चौधरी, लेखाधिकारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान
स्रोत
http://www.jagran.com/uttar-pradesh/agra-city-12148867.html

Thursday, March 5, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान के लेखाधिकारी पर सीवीसी की जाँच

केंद्रीय हिंदी संस्थान में वित्तीय अनियमितताआें की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) करेगा। आरटीआई एक्टिविस्ट सुनीत चौहान ने प्रधानमंत्री कार्यालय और सीवीसी से शिकायत कर लेखाधिकारी और डिप्टी रजिस्ट्रार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीएमओ के निर्देश पर ही सीवीसी ने मामला पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है।


शिकायत में कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्वायत्तशासी संस्थान में उच्च अधिकारी नियमों को ताक पर रख सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेखाधिकारी को अपने गृह नगर में प्लॉट खरीदने को 20 अगस्त 2013 में भवन निर्माण मद से साढे़ सात लाख रुपये दिए गए। लेखाधिकारी पर पद पर रहते हुए उच्च श्रेणी का आवास आवंटन, लाइसेंस फीस सामान्य रूप से लेना, तीन बच्चों की ट्यूशन फीस लेना, संस्थान में नियम विरुद्घ तरीके से बच्चाें का शिक्षण शुल्क लेने जैसे आरोप हैं।
परिवार के साथ सरकारी खर्चे पर हवाई यात्राएं
डिप्टी रजिस्ट्रार अनिल चौधरी पर इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना में कनिष्ठ लेखाधिकारी रहते हुए सेवा शर्तों की अनदेखी करने और चार लाख रुपये जमा न करने और बिना अनुमति के परिवार के साथ सरकारी खर्चे पर हवाई यात्राएं करने का आरोप भी हैं।
रजिस्ट्रार पर लगे आरोपों की जांच चल रही
इससे पहले रजिस्ट्रार चंद्रकांत त्रिपाठी पर भी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अवर सचिव पीपी नायर ने बीते साल जुलाई में निदेशक को जांच के आदेश दिए थे। रजिस्ट्रार पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई की एंटी करप्शन शाखा भी कर रही है।
वर्जन-
सभी आरोप गलत हैं। जांच में सब साबित हो जाएगा। पूरा मामला प्रमोशन का है। एक साथी हैं जो प्रमोशन की दौड़ में हैं, लेकिन कदाचार के आरोपों के कारण उनका प्रमोशन नहीं हो सका है। उन्होंने ही यह आरोप लगवाए हैं। ताकि मैं दौड़ से बाहर हो जाऊं और उन्हें प्रमोशन मिल जाए।
- अनिल चौधरी, डिप्टी रजिस्ट्रार, केंद्रीय हिंदी संस्थान

स्रोत - अमर उजाला (05/03/2015)
http://bit.ly/1IVEzaO

Friday, January 16, 2015

संस्थान में भ्रष्टाचार का दीमक

आगरा 
गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए आगरा में बना केंद्रीय हिंदी संस्थान। आगरा में बना यह देश का सबसे बड़ा केंद्र है। इस संस्थान में भ्रष्टाचार का दीमक लग चुका है। संस्थान में अभी तक उड़ीसा के 132 छात्रों की मार्कशीट फर्जी पाई गई हैं।
आरटीआई के माध्यम से जब संस्थान से जवाब मांगा गया तो पता चला की पिछले 9 साल के फर्जी अंकपत्रों की जांच का कोई ब्योरा संस्थान के पास नही है। आगरा का केंद्रीय हिंदी संस्थान देश की हिंदी भाषा का मुख्य केंद्र है जहां इस समय देश के पूर्वोत्तर और विदेशी दोनों मिलाकर लगभग 3 सौ छात्र हिंदी भाषा का कोर्स कर रहे है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान की डिग्री का उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों में खास महत्व है क्योंकि वहां संस्थान की डिग्री मिलते ही सरकारी नौकरी मिल जाती है। इसी के चलते केंद्रीय हिंदी संस्थान फर्जीवाड़े का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है। उड़ीसा से जांच के लिए आई 132 डिग्रीयां फर्जी पाई गई हैं।
सुनीत चौहान नाम के आरटीआई एक्टिविस्ट ने संस्थान से जब सूचना मांगी तो खुलासा हुआ कि केंद्रीय हिंदी संस्थान के पास फर्जी डिग्री की जांचों का केवल एक साल का रिकॉर्ड है 9 सालों से जांचों के सारे रिकॉर्ड गायब हैं।
स्रोत - न्यूज़ 18 (16/01/2015)
http://bit.ly/1McGuIZ

Wednesday, January 7, 2015

केंद्रीय हिंदी संस्थान में भिड़े अधिकारी

आगरा: केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रवेश एवं परीक्षा विभाग के दो अधिकारियों में रार ठन गई है। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। मंगलवार को दोनों के तेवर इस कदर कड़े थे कि निदेशक कार्यालय में एक-दूसरे को देखते ही गाली-गलौज शुरू कर दी। ये अधिकारी हैं परीक्षा नियंत्रक और परीक्षा अधिकारी।
फर्जी मार्कशीट के मामले में सोमवार को हुई बेनतीजा बैठक के बाद मंगलवार को संस्थान के निदेशक प्रो. मोहन ने परीक्षा विभाग के अधिकारियों को आगामी कार्यवाही के लिए बुलाया था। सूत्रों का कहना है कि परीक्षा अधिकारी ने परीक्षा नियंत्रक के लिएअपशब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया। परीक्षा नियंत्रक ने भी बदले में अपशब्द कहे। इस पर परीक्षा अधिकारी के तेवर और गर्म हो गए। उन्होंने परीक्षा नियंत्रक के लिए गाली-गलौज शुरू कर दी। निदेशक व कार्यालय में मौजूद अन्य अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। परीक्षा नियंत्रक प्रो. चंद्रकांत त्रिपाठी का कहना है कि परीक्षा अधिकारी रतन बाबू मुझे पर गलत आरोप लगाकर संस्थान की छवि धूमिल कर रहे हैं। वहीं परीक्षा अधिकारी रतन बाबू के अनुसार परीक्षा नियंत्रक के फर्जी कामों की फेहरिस्त लंबी है। संस्थान की छवि खराब होने के पीछे वे स्वयं जिम्मेदार हैं।

स्रोत - दैनिक जागरण (07/01/2015)
http://bit.ly/1ItXIiv

Thursday, January 1, 2015

MoS HRD Katheriya uncovers scholarship scam in Kendriya Hindi Sansthan Agra

The Union Minister of State for Human Resource Development, Ram Shankar Katheriya today uncovered a huge scam of issuing fake marksheets and extorting money from foreign students at the Central Government-run Kendriya Hindi Sansthan in Agra, where thousands of foreign students seek admission to learn Hindi.
Talking to India Today, Katheriya said that some foreign students had complained to him that the institute is deducting Rs. 2000 per month from their scholarship in the name of mess bill, when it was already included in their fees. Upon reaching the institute to investigate, he found that the complaint was genuine and immediately issued orders for the recovery and refund of the amount illegally charged from the students. He also said, it was found that some people were illegally printing fake marksheets in the institute's computer lab and the institute has been forbidden to issue marksheets from its own computer lab from now onwards, while orders have also been issued to file criminal charges against the culprits in this scam.
Katheriya said that there are about 300 students in the institute and 100 teachers, which makes up for a ratio of 3 students per teacher which is ridiculous. Also, he said, the institute had been issued Rs. 4 crores for maintenance, but the condition of the institute was still pitiable necessitating an inquiry into what exactly happened with the funds.

Notably, there are 68 foreign and 200 Indian tourists in the institute who are given Rs. 3500 and Rs. 2500 respectively as scholarship. The institute's mess has been non-functional since several years, yet the students were being charged Rs. 2000 per foreigner as mess bill even though they had privately arranged for the food to be prepared for Rs. 1000 per student. The illegally charged amount comes up to Rs. 1,36,000 per month and this has been going on for quite a while, since the mess stopped functioning. The Indian students had refused to pay the mess bill and threatened to launch an agitation against the institutes administration, so they are exempted from the 'mess bill'. Katheriya said that as per the rules, the institute cannot legally deduct any amount from a student's scholarship which is issued by the Central Government and this amount has to be sent directly into the student's bank account in full. If any bills are raised to the student, he may be asked them to pay afterwards from whatever means he deems fit. It was an unlawful act to deduct money from scholarships and the culprits will be punished severely.
However, the institute director Dr. Chandrakant Tripathi claimed that the matter was still under investigation and it was not prudent to 'jump the gun'. He said that it is possible that some employees of the institute were involved in a plot to defame the institute which is one of the only two such institutes in India that teach Hindi.
Commenting on the sudden action taken by the minister, Samajwadi Party former city president Wajid Nisar said that the minister has been a professor of Dr. B R Ambedkar University, Agra, for several years and throughout this period he has lived barely a kilometer away from the Central Government-run 'Kendriya Hindi Sansthan', but he never cared to look into these complaints. Even the Cabinet minister for HRD minister, Smriti Irani had visited the institute a few weeks back, but no notice was taken on the complaints of the students. It was only when the students resorted to bringing this matter before the media, that the minister has now reacted in a bid to save his face

Source - India Today (01/01/2015)
http://bit.ly/1KWsfqc